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*जब भगवान शिव ने मगरमच्छ बनकर ली पार्वती की परीक्षा*

🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌹👣👣🌹🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱 माता पार्वती शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप कर रही थीं। उनके तप को देखकर देवताओं ने शिव जी से देवी की मनोकामना पूर्ण करने की प्र...

भगवान विष्णु का दीपक

((((( भगवान विष्णु का दीपक ))))) . सतयुग की बात है. एक समय में भद्राश्व नामक महान राजा हुआ करते थे. भद्राश्व इतने शक्ति शाली राजा थे कि उनके नाम पर भद्राश्ववर्ष पड़ा. एक बार उनके राज्य में अगस्त्य मुनि पहुंचे. वे राजमहल में भी पधारे. राजा ने खूब आवभगत की. . अगस्त्य बोले- भद्राश्व मैं तुम्हारे वहां सात दिन रुकूंगा. राजा ने उनके ठहरने का विधिवत प्रबंध किया और अपने सेवकों इत्यादि को उनकी सेवा में लगा दिया. उन्होंने अपनी रानियों से उनके दर्शन लाभ लेने को कहा. . राजा भद्राश्व की रानी कांतिमती अत्यंत सुंदरी थी. कहते हैं उसके चेहरे की चमक बारह सूर्यों के समान चौंधिया देने वाली थी. रानी कांतिमति के अलावा राजा के रनिवास में पचास हजार अन्य रानियां भी थी पर कांतिमती की कोई बराबरी नहीं थी. . पहले ही दिन रानी कांतिमती मुनि अगस्त्य के दर्शन के लिये आयी. अगस्त्य मुनि ने कांतिमति को देखा तो देखते रह गये. उन्होंने कहा कहा, राजा तू बड़ा ही भाग्यवान है, तू धन्य है. . दूसरे दिन कांतिमती फिर आयी तो उसे देख कर अगस्त्य बोले, ओह, सारा संसार वंचित रह गया. तीसरे दिन कहा, ये लोग तो उस गोविंद की माया को ...
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(((( द्वारिकादीश का तुलादान )))) . एक बार देवर्षि नारद के मन में आया कि भगवान् के पास बहुत महल आदि है है, एक- आध हमको भी दे दें तो यहीं आराम से टिक जायें, नहीं तो इधर -उधर घूमते रहना पड़ता है । . भगवान् के द्वारिका में बहुत महल थे । . नारद जी ने भगवान् से कहा - " भगवन ! " आपके बहुत महल हैं, एक हमको दो तो हम भी आराम से रहें। आपके यहाँ खाने - पीने का इंतजाम अच्छा ही है । . भगवान् ने सोचा कि यह मेरा भक्त है , विरक्त संन्यासी है। अगर यह कहीं राजसी ठाठ में रहने लगा तो थोड़े दिन में ही इसकी सारी विरक्ति भक्ति निकल जायेगी । . हम अगर सीधा ना करेंगे तो यह बुरा मान जायेगा , लड़ाई झगड़ा करेगा कि इतने महल हैं और एकमहल नहीं दे रहे हैं । . भगवान् ने चतुराई से काम लिया , नारद से कहा " जाकर देख ले , जिस मकान में जगह खाली मिले वही तेरे नाम कर देंगे ।" नारद जी वहाँ चले । . भगवान् की तो १६१०८रानियाँ और प्रत्येक के११- ११बच्चे भी थे । यह द्वापर युग की बात है । . सब जगह नारद जी घूम आये लेकिन कहीं एक कमरा भी खाली नहीं मिला , सब भरे हुए थे । . आकर भगवान् से कहा " वहाँ क...

श्री वेंकटेश बालाजी भगवान की कहानी ।part1

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राधेराधे .. ॐ नमो वेंकटेशाय... आज जिस कथा के बारे में हम देखने वाले हैं वह है भगवान वेंकटेश की कथा है। भगवान वेंकटेश अर्थात श्रीबालाजी तिरुपति में स्थित तिरुमला अपनी दो पत्नियों के साथ वास करते है। उनकी दो पत्नियां अर्थात देवी लक्ष्मी और देवी पद्मावती। तो जानते हैं कि उन्होंने किस तरीके से धरती पर अवतार लिया। एक बार सप्तर्षियों की सभा बैठी थी। उसमें यह विषय की चर्चा चल रही थी कि त्रिदेवों में सबसे श्रेष्ठ भगवान कौन है अतः सबसे ज्यादा शक्तिमान कौन है। तो सभीने भ्रगु मुनि को यह बोला कि आप जाकर यह सिद्ध करो त्रिदेवोंमें सबसे श्रेष्ठ भगवान कौन है? इस बात को लेकर भृगु मुनि निकल पड़े। अत्यंत तपस्वी और अहंकारी ऋषि भृगु प्रथम ब्रम्ह लोक गए। वहां पर भगवान ब्रह्मा देवी सरस्वती की वीणा वादन सुनने में अत्यंत मग्न थे। उन्होंने ऋषि भृगु को देखा ही नहीं इसकी वजह से ऋषि वर को लगा यह मेरा अपमान है, और उन्होंने भगवान ब्रह्मा को श्राप दे दिया की धरती पर अर्थात भूलोक में तुम्हारी कहीं पर भी पूजा नहीं होंगी अतः तुम्हारे कहीं पर भी मंदिर नहीं होंगे यह बात कह कर ऋषि भृगु आगे निकल पड़े। ...